Naresh Goyal : Naresh Goyal Jet Airways
Naresh Goyal Jet Airways ने एक नाटकीय अदालती याचिका में मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष Naresh Goyal ने गहरी निराशा व्यक्त की। केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये के कथित धोखाधड़ी मामले में आरोपों का सामना कर रहे Naresh Goyal, जो इस समय न्यायिक हिरासत में हैं, ने अपने बिगड़ते शारीरिक स्वास्थ्य और निजी जीवन की गंभीर तस्वीर सामने रखी, जिसमें उनकी पत्नी की कैंसर से लड़ाई भी शामिल है। आइए अदालत कक्ष में सामने आई इस भावनात्मक और कानूनी गाथा के विवरण पर गौर करें।
दया की गुहार: Naresh Goyal की हताश गुहार
एक समय प्रमुख जेट एयरवेज़ के संस्थापक Naresh Goyal ने मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष “हाथ जोड़कर” निवेदन किया कि उन्होंने “जीवन की हर आशा खो दी है।” उनकी आवाज़ में हताशा अपने चरम पर पहुंच गई जब उन्होंने सुझाव दिया कि अपनी वर्तमान स्थिति में जीवित रहने के बजाय “बेहतर होगा कि वह जेल में ही मर जाएं”। यह याचिका कथित 538 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले से संबंधित कार्यवाही के दौरान सामने आई, जिसके कारण सितंबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गोयल को गिरफ्तार किया था।
कानूनी पृष्ठभूमि: आरोप और हिरासत
Naresh Goyal की गिरफ्तारी केनरा बैंक में 538 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के आरोप में हुई है। वर्तमान में मुंबई की आर्थर रोड जेल में न्यायिक हिरासत में, संस्थापक को कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ रहा है, जिसने उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाला है।
जमानत आवेदन: राहत की मांग
Naresh Goyal ने हालिया कार्यवाही के दौरान विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष जमानत याचिका दायर की। दिल दहला देने वाली अपील में, गोयल ने हाथ जोड़कर और स्पष्ट शारीरिक परेशानी के साथ, अपने स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति को साझा किया। संस्थापक ने अपनी पत्नी अनीता, जो उन्नत चरण के कैंसर से जूझ रही है, और अपनी अस्वस्थ बेटी के अनिश्चित स्वास्थ्य पर जोर दिया।
स्वास्थ्य चुनौतियाँ: गोयल के शारीरिक संघर्ष
Naresh Goyal के शारीरिक संघर्ष स्पष्ट रूप से स्पष्ट थे क्योंकि उन्होंने अपने सूजे हुए और दर्दनाक घुटनों की ओर इशारा करते हुए अपने पैरों को मोड़ने में असमर्थता पर जोर दिया था। अदालत ने “उसके पूरे शरीर में लगातार कंपन” देखा, जो उसकी परेशानी की सीमा को उजागर करता है। एक मार्मिक क्षण में, गोयल ने जे जे अस्पताल न भेजे जाने का अनुरोध किया और इसके बजाय बोझिल यात्रा और अनुवर्ती अतिरिक्त कठिनाइयों का हवाला देते हुए “जेल में ही मरने” की इच्छा व्यक्त की।
भावनात्मक अपील: गोयल की खोई उम्मीद
गहरी निराशा व्यक्त करते हुए, गोयल ने कहा कि उन्होंने “जीवन की हर उम्मीद खो दी है” और मृत्यु उनकी वर्तमान स्थिति के लिए एक बेहतर विकल्प होगी। सत्तर वर्षीय व्यवसायी, जिसका स्वास्थ्य तेजी से गिर रहा है, ने समय पर चिकित्सा देखभाल और अनुवर्ती कार्रवाई प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों पर जोर देते हुए दया की गुहार लगाई।
कानूनी कार्यवाही: न्यायाधीश की टिप्पणियाँ
कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाले न्यायाधीश एम जी देशपांडे ने गोयल की दलीलों पर ध्यान दिया। न्यायाधीश ने गोयल को आश्वासन दिया कि उन्हें असहाय नहीं छोड़ा जाएगा और उचित उपचार के साथ उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की उचित देखभाल सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। कोर्ट ने गोयल के वकीलों को उनके स्वास्थ्य को लेकर जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया.
जमानत आवेदन और लंबित सुनवाई
पिछले साल दिसंबर में दायर की गई Naresh Goyal की जमानत याचिका में हृदय संबंधी समस्याएं, प्रोस्टेट समस्याएं और आर्थोपेडिक बीमारियों सहित उनकी कई स्वास्थ्य स्थितियों पर प्रकाश डाला गया था। अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, गोयल ने यह मानने के लिए उचित आधार का दावा किया कि वह दोषी नहीं हैं। जमानत याचिका विशेष न्यायाधीश एम जी देशपांडे के समक्ष लंबित है, जिसकी अगली सुनवाई 16 जनवरी को होनी है।
निष्कर्ष: कानूनी लड़ाई का मानवीय पक्ष
Naresh Goyal की याचिका के आसपास का कोर्टरूम ड्रामा कानूनी लड़ाई के मानवीय पक्ष की एक मार्मिक झलक प्रदान करता है। जैसे-जैसे कानूनी कार्यवाही जारी रहती है, आरोपों का सामना कर रहे व्यक्तियों पर भावनात्मक प्रभाव स्पष्ट होता जाता है। गोयल की याचिका कानूनी जटिलताओं और स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहे व्यक्तियों की हताशा और चुनौतियों को दर्शाती है। आगामी सुनवाई इस गाथा में अगला अध्याय खोलेगी, जो कानूनी कार्यवाही में न्याय, दया और निर्विवाद मानवीय तत्व के अंतर्संबंध पर प्रकाश डालेगी।